वो वर्ष और था, ये साल नया है
गगन में घुलता अरुणिम गुलाल नया है
जो मानव हो तुम तो, जो ठानो वो पा लो
जो गुज़रा वो भूलो, ये सूरत-ए-हाल नया है
गगन में घुलता अरुणिम गुलाल नया है
जो मानव हो तुम तो, जो ठानो वो पा लो
जो गुज़रा वो भूलो, ये सूरत-ए-हाल नया है
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