अपनी लग़्ज़िशों का ज़िन्दान तुम भी हो
इंसान हम भी हैं इंसान तुम भी हो
नक़ाब-ए-तबस्सुम, लिबास-ए-बहबूद के पीछे
उर्यान हम भी हैं उर्यान तुम भी हो
ये जो जकड़े गए हैं ज़ंजीर-ए-अशराफ़ में वगरना
शैतान हम भी हैं शैतान तुम भी हो
कभी दीवाने थे जो अब इक दूसरे का
इम्तिहान हम भी हैं इम्तिहान तुम भी हो
ता-क़यामत जो दिल में ज़ब्त रहेंगे उन असरारों के
पास-बान हम भी हैं पास-बान तुम भी हो
न जाने क्यूँ समझ आती नहीं तर्ज़-ए-बयानी
हम-ज़बान हम भी हैं हम-ज़बान तुम भी हो
तुम सब भुला चुकी मुझको सब याद है
हैरान हम भी हैं हैरान तुम भी हो
है ख़्वाहिश कि पा लूँ जो पहलू में नहीं है
नादान हम भी हैं नादान तुम भी हो
इतना अहम क्यों सुपुर्द-ए-ख़ाक का
सामान हम भी हैं सामान तुम भी हो
किस चीज़ को अपना कहें जहान-ए-ख़ुदा में
मेहमान हम भी हैं मेहमान तुम भी हो
इंसानी ज़ात से उठकर मसीहा होने का
इम्कान हम भी हैं इम्कान तुम भी हो
अभी तो रवाँ है नफ़स में खुमारी
जवान हम भी हैं जवान तुम भी हो
इंसान हम भी हैं इंसान तुम भी हो
नक़ाब-ए-तबस्सुम, लिबास-ए-बहबूद के पीछे
उर्यान हम भी हैं उर्यान तुम भी हो
ये जो जकड़े गए हैं ज़ंजीर-ए-अशराफ़ में वगरना
शैतान हम भी हैं शैतान तुम भी हो
कभी दीवाने थे जो अब इक दूसरे का
इम्तिहान हम भी हैं इम्तिहान तुम भी हो
ता-क़यामत जो दिल में ज़ब्त रहेंगे उन असरारों के
पास-बान हम भी हैं पास-बान तुम भी हो
न जाने क्यूँ समझ आती नहीं तर्ज़-ए-बयानी
हम-ज़बान हम भी हैं हम-ज़बान तुम भी हो
तुम सब भुला चुकी मुझको सब याद है
हैरान हम भी हैं हैरान तुम भी हो
है ख़्वाहिश कि पा लूँ जो पहलू में नहीं है
नादान हम भी हैं नादान तुम भी हो
इतना अहम क्यों सुपुर्द-ए-ख़ाक का
सामान हम भी हैं सामान तुम भी हो
किस चीज़ को अपना कहें जहान-ए-ख़ुदा में
मेहमान हम भी हैं मेहमान तुम भी हो
इंसानी ज़ात से उठकर मसीहा होने का
इम्कान हम भी हैं इम्कान तुम भी हो
अभी तो रवाँ है नफ़स में खुमारी
जवान हम भी हैं जवान तुम भी हो
लग़्ज़िशों = mistakes
ReplyDeleteज़िन्दान = cage
तबस्सुम = smile
बहबूद = well-being
उर्यान = naked
अशराफ़ = nobility
असरारों = secrets
पास-बान = guard
तर्ज़ = form
इम्कान = possibility