जो दीप सदा उदीप्त रहे उस कुंदन-लौ सा जलना है
इस दीवाली राम सरीखे स्व-कुटुंब को चलना है
हम पर्वों के धर्म-रीति के साथ प्रतीकों को समझें
काम क्रोध मद लोभ तमस का वध कर निश्छल बनना है
इस दीवाली राम सरीखे स्व-कुटुंब को चलना है
हम पर्वों के धर्म-रीति के साथ प्रतीकों को समझें
काम क्रोध मद लोभ तमस का वध कर निश्छल बनना है
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