ज़ुल्मत-कदे में गोया चिंगारी ले कर के पहुँचे
कुछ लोग दुनिया में ईमानदारी ले कर के पहुँचे
दुनिया-ए-राह में अक्सर पिछड़ जाते हैं वो लोग
अपने उसूलों का बोझ जो बोहोत भारी ले कर के पहुँचे
लगा है ताँता यहाँ आज़ादी के खरीददारों का
नुमाइश में सब अपनी-अपनी बारी ले कर के पहुँचे
तुझको रुख़्सत किया खुद से ज़माने की दुहाई देकर
मक़ाम-ए-इश्क़ पे हम अपनी लाचारी ले कर के पहुँचे
बे-तकल्लुफ़ लहज़ा, बिखरी ज़ुल्फ़ें, सादा पैरहन
तुझको खबर नहीं हम कितनी बेक़रारी ले कर के पहुँचे
अजनबी लोगों में भी अपनापन ढूंढ लेते हैं
नये शहर में हम तस्वीर तुम्हारी ले कर के पहुँचे
कुछ लोग दुनिया में ईमानदारी ले कर के पहुँचे
दुनिया-ए-राह में अक्सर पिछड़ जाते हैं वो लोग
अपने उसूलों का बोझ जो बोहोत भारी ले कर के पहुँचे
लगा है ताँता यहाँ आज़ादी के खरीददारों का
नुमाइश में सब अपनी-अपनी बारी ले कर के पहुँचे
तुझको रुख़्सत किया खुद से ज़माने की दुहाई देकर
मक़ाम-ए-इश्क़ पे हम अपनी लाचारी ले कर के पहुँचे
बे-तकल्लुफ़ लहज़ा, बिखरी ज़ुल्फ़ें, सादा पैरहन
तुझको खबर नहीं हम कितनी बेक़रारी ले कर के पहुँचे
अजनबी लोगों में भी अपनापन ढूंढ लेते हैं
नये शहर में हम तस्वीर तुम्हारी ले कर के पहुँचे