Thursday, July 26, 2018

ग़ज़ल - 75

उनकी आँखों ने किया हमसे कोई बेनाम सा वादा होगा
बेवजह धड़क रहा है दिल कितना सादा होगा

किसी पैमाने में न बैठेगा ये दरिया-ए-उल्फ़त दिल का
ये जितना इश्क़ है दुनिया में उससे भी ज़ियादा होगा

वो भँवरा साँझ ढले आता है गुल के नज़दीक
हाँ कुछ ऐसा ही मेरे दिल का इरादा होगा

हम जो मिल जाएँ बज़्म-ए-दहर तो और क्या होगा
खुशियाँ दो-गुनी और ग़म तेरा आधा होगा

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