तेरे बिछड़ने का जो ग़म है उस ग़म की रुख़्सत से भी कम
है उस ग़म की रुख़्सत से भी कम तेरे बिछड़ने का जो ग़म
फूट कर रोएँगे हम दर्द-ए-जिगर के मज़ार पर
दर्द-ए-जिगर के मज़ार पर फूट कर रोएँगे हम
है उस ग़म की रुख़्सत से भी कम तेरे बिछड़ने का जो ग़म
फूट कर रोएँगे हम दर्द-ए-जिगर के मज़ार पर
दर्द-ए-जिगर के मज़ार पर फूट कर रोएँगे हम
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