चमन के गुलों पे रंग कौन डालेगा
तुम नहीं होगी तो मुझे कौन सँभालेगा
मेरे अतफ़ाल-मन को फिर कौन पोसेगा
मेरी चंचल-हवस को फिर कौन पालेगा
मेरी गुस्ताखियों पे मुझसे कौन रूठेगा
मेरे ख़तों को हवा में कौन उछालेगा
जो तू न रही तो मैं खाली न हो पाऊंगा
तुझे मुझमें से फिर कौन निकालेगा
तुम नहीं होगी तो मुझे कौन सँभालेगा
मेरे अतफ़ाल-मन को फिर कौन पोसेगा
मेरी चंचल-हवस को फिर कौन पालेगा
मेरी गुस्ताखियों पे मुझसे कौन रूठेगा
मेरे ख़तों को हवा में कौन उछालेगा
जो तू न रही तो मैं खाली न हो पाऊंगा
तुझे मुझमें से फिर कौन निकालेगा
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