वो किस्सा अधूरा छूट गया था
इक लम्हा वक़्त से टूट गया था
वो फिर मुझे न आया मनाने
इक बार मैं उससे रूठ गया था
उसके शहर-ए-उल्फ़त का उजाला
मेरी बीनाई लूट गया था
उसकी ख़ुशी में आँसू ढलके
अमृत का इक घूँट गया था
मैं तो पहले ही मर चुका था
अख़बारों में झूठ गया था
इक लम्हा वक़्त से टूट गया था
वो फिर मुझे न आया मनाने
इक बार मैं उससे रूठ गया था
उसके शहर-ए-उल्फ़त का उजाला
मेरी बीनाई लूट गया था
उसकी ख़ुशी में आँसू ढलके
अमृत का इक घूँट गया था
मैं तो पहले ही मर चुका था
अख़बारों में झूठ गया था
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