जहाँ अहल-ए-वतन तहज़ीब-ओ-रिवायत की तामील में फ़ाज़िल है
असल मायने में वो ही मुल्क़ आज़ादी का हासिल है
परतंत्र रहे, बलिदान दिया, अपने मौलिक अधिकार लिए
पर अपनी संस्कृति तक जाना ही आज़ादी की मंज़िल है
असल मायने में वो ही मुल्क़ आज़ादी का हासिल है
परतंत्र रहे, बलिदान दिया, अपने मौलिक अधिकार लिए
पर अपनी संस्कृति तक जाना ही आज़ादी की मंज़िल है
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