Friday, August 10, 2018

अकेले शेर - 16

तीरगी का अक्स और ख़ामोशी की सुनवाई
ज़िन्दगी के कहकशाँ में गूंजती है तन्हाई

बे-इंतिहाई भी है ख़ुदा का एक रंग
सो अपने वीराने में हमने पाई मसीहाई

No comments:

Post a Comment