तीरगी का अक्स और ख़ामोशी की सुनवाई
ज़िन्दगी के कहकशाँ में गूंजती है तन्हाई
बे-इंतिहाई भी है ख़ुदा का एक रंग
सो अपने वीराने में हमने पाई मसीहाई
ज़िन्दगी के कहकशाँ में गूंजती है तन्हाई
बे-इंतिहाई भी है ख़ुदा का एक रंग
सो अपने वीराने में हमने पाई मसीहाई
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