Wednesday, April 4, 2018

अकेले शेर - 11

साथ साथ चलती है मगर साथ नहीं लगती
कोशिश कितनी भी कर लूँ ज़िंदगी हाथ नहीं लगती

एक खालीपन है बाहर जिसे मैं शोर से भरता हूँ
एक सन्नाटा है मुझमें जिसमें आवाज़ नहीं लगती

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