Sunday, September 9, 2018

अकेले शेर - 19

है जो तेरे रुख़सार की पहरेदारी में एक तिल
जैसे किसी के हसीन असरार ज़ब्त किए हो एक दिल

चाँद सँवरता ख़ुद को देख कर सागर के आईने में
सागर की तफ़्सीर में सारे रूप चाँद के हैं शामिल

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