दिन ने सूरज की खिड़की खोली
रंगों ने फिर खेली होली
मैंने दिन पर पर्दा डाला
रात भी मेरे संग में हो ली
सुबह सबसे पहले उठकर
हमने अपनी नब्ज़ टटोली
हाथ पसारो और उड़ जाओ
इक दिन चिड़िया मुझसे बोली
हम-तुम जैसे दरिया प्यासा
दुख-सुख जैसे दामन-चोली
रंगों ने फिर खेली होली
मैंने दिन पर पर्दा डाला
रात भी मेरे संग में हो ली
सुबह सबसे पहले उठकर
हमने अपनी नब्ज़ टटोली
हाथ पसारो और उड़ जाओ
इक दिन चिड़िया मुझसे बोली
हम-तुम जैसे दरिया प्यासा
दुख-सुख जैसे दामन-चोली
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