Emotional Hallucination
A tryst with... life.
Thursday, June 28, 2018
अकेले शेर - 13
मेरे ज़िंदान-ए-जिस्म से ही होकर जाती तेरी खुशबू
मैं लम्हा लम्हा घटता हूँ तू क़तरा क़तरा बढ़ती है
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