Wednesday, August 23, 2017

मैं

मैं हर्फ़ भी हूँ मैं शब्द भी हूँ
मैं मुखर भी हूँ निःशब्द भी हूँ

मैं द्वंद भी हूँ मैं ख़ुदी भी हूँ
मैं होश भी हूँ बेख़ुदी भी हूँ

मैं मैं ही नहीं मैं तुम भी हूँ
मैं पास तेरे और गुम भी हूँ

मैं सब कुछ हूँ और कुछ भी नहीं
मैं झूठ भी हूँ मैं सच ही नहीं

मैं कश्ती हूँ मैं नदी भी हूँ
तुम जिस पे सवार वो सदी भी हूँ

ये देह मेरे सब एक नही
मैं देह-ओ-कालातीत भी हूँ

मैं हरा भी हूँ भगवा भी हूँ
ईश्वर भी हूँ अल्लाह भी हूँ

मैं खिला हुआ जो कुमुद की तरह
मैं मर कर गिरता वृक्ष भी हूँ

मैं छंद भी हूँ स्वच्छंद भी हूँ
प्रारंभ भी हूँ मैं बंद भी हूँ

मैं एक चराचर निर्मोही
मैं सर पर चढ़ता दंभ भी हूँ

मैं किन्तु हूँ यानी भी हूँ
मैं भिक्षु हूँ दानी भी हूँ

मैं क्रिया भी हूँ कर्ता भी हूँ
संहरता हूँ धरता भी हूँ

मैं चारों दिशाओं में बजता
मैं अंतर्नाद की ध्वनि भी हूँ

No comments:

Post a Comment