चेहरे से बिछड़ती लालियाँ
नब्ज़ों की सूखती डालियाँ
यूँ मर के ज़िंदा रहते हैं
जैसे सुनता रहे कोई गालियाँ
तमन्ना की हवस है रग-ए-जाँ में
बस दिखती रहें तेरी बालियाँ
मेरे माझी को किस ओर जाना है
मेरे माझी पे निगाह-ए-सवालियाँ
रस्म-ओ-रिवाज़ के जिस्म के बाहर
इंसाँ को मिलती है बहालियाँ
ग़ज़ल का कहना क्या है
बदहवासी, और उदासी, तालियाँ
नब्ज़ों की सूखती डालियाँ
यूँ मर के ज़िंदा रहते हैं
जैसे सुनता रहे कोई गालियाँ
तमन्ना की हवस है रग-ए-जाँ में
बस दिखती रहें तेरी बालियाँ
मेरे माझी को किस ओर जाना है
मेरे माझी पे निगाह-ए-सवालियाँ
रस्म-ओ-रिवाज़ के जिस्म के बाहर
इंसाँ को मिलती है बहालियाँ
ग़ज़ल का कहना क्या है
बदहवासी, और उदासी, तालियाँ
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