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Tuesday, May 9, 2017

त्रिवेणी - 2

इक ख़त लिखा खुद को मैने
कुछ सवाल पूछे, रिटॉरिकल
जवाब आया के ग़ालिब पढ़ते हो, दूसरा ख़त किधर है?

त्रिवेणी - 1

तुम हमपर ऐसे छपे
जैसे मेज़ पर चाय के धब्बे
रोज़ पोछता हूँ फिर प्याला रख देता हूँ

हिंदी-उर्दू

1.
साजन ने कहा ये सजनी से
तू मुझको फ़ूल सी लगती है
कहना तो चाहा उर्दू का पर बोल दिया अंग्रेज़ी का।

2.
इक रक्षक और इक दहशतगर्द, दोनो ही माओं के बेटे हैं
एक माँ ने बेटा जाया है, इक माँ का बेटा ज़ाया है