Wednesday, January 27, 2016

ग़ज़ल - 7

तुम कह भी दोगे, हम मान भी लेंगे
ये राज़ एक दिन मेरी जान भी लेंगे

तुम कौन हो इसका इल्म है मुझे
मैं कौन हूँ ये सब जान ही लेंगे

बस एक ही गिला है मुझे तुमसे
हम तुम्हे कभी ईमान से न लेंगे

दुनिया से छुपकर कोई कबतक जिया है
साये हैं कि उसके पहचान ही लेंगे 

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