कभी यूँ भी लगता है, क्यूँ जियें
फरेब-ए-हयात-ए-मय, क्यूँ पियें
ना इल्म-ए-हस्ती, ना मर्ग-ए-वाकिफ़
फिर चाक गिरेबाँ, क्यूँ सियें
यूँ झूठ ही तो है, जो सब जाना
ना-वाकिफ़ हूँ उससे, जो है पाना
क्या जिंदगी का मकसद, क्यूँ जिंदगी का मकसद
झूठा है खुदा, झूठा पैमाना
क्या राज़-ए-खुल्द, रूह-ए-निहाँ
जाना कहाँ, हूँ मैं हैराँ
कहते हैं तूने, बनाया हमें
किसने तुझे, कुछ दे जबाँ
दिनांक : 21/01/2011
फरेब-ए-हयात-ए-मय, क्यूँ पियें
ना इल्म-ए-हस्ती, ना मर्ग-ए-वाकिफ़
फिर चाक गिरेबाँ, क्यूँ सियें
यूँ झूठ ही तो है, जो सब जाना
ना-वाकिफ़ हूँ उससे, जो है पाना
क्या जिंदगी का मकसद, क्यूँ जिंदगी का मकसद
झूठा है खुदा, झूठा पैमाना
क्या राज़-ए-खुल्द, रूह-ए-निहाँ
जाना कहाँ, हूँ मैं हैराँ
कहते हैं तूने, बनाया हमें
किसने तुझे, कुछ दे जबाँ
दिनांक : 21/01/2011
हयात = life
ReplyDeleteइल्म = knowledge
मर्ग = death
चाक गिरेबाँ = torn collar
खुल्द = heaven
निहाँ = hidden
कहते हैं तूने, बनाया हमें
ReplyDeleteकिसने तुझे, कुछ दे जबाँ
wow....bauhat accha likha h...infact socha hai...aur kaha hai.n i must say u have a very good vocab!!