सब दिशाओं से
उमड़ कर आती है
एक वेदना, प्रकृति की
और अपने आँसुओं से पोछती जाती है
हमारी भूलों को
और साथ ही हमें अवगत कराती है
हमारे अस्तित्व की क्षुद्रता से
हमारे अहम की तुच्छता से
बताती है हमें
कि हम बस एक प्रणाली का हिस्सा-मात्र हैं
हम धरती की स्वामी नहीं
अपितु सृष्टि के जीवन पटल पर एक छोटी सी घटना हैं
उमड़ कर आती है
एक वेदना, प्रकृति की
और अपने आँसुओं से पोछती जाती है
हमारी भूलों को
और साथ ही हमें अवगत कराती है
हमारे अस्तित्व की क्षुद्रता से
हमारे अहम की तुच्छता से
बताती है हमें
कि हम बस एक प्रणाली का हिस्सा-मात्र हैं
हम धरती की स्वामी नहीं
अपितु सृष्टि के जीवन पटल पर एक छोटी सी घटना हैं